वेंडर वित्तपोषण, भारत में वेंडर वित्तपोषण- आईडीबीआई बैंक वेंडर वित्तपोषण कार्यक्रम
अवलोकन
विभिन्न प्रकार के माल के विनिर्माण और आपूर्ति के कारोबार में लगे लोगों के लिए मूल्य श्रृंखला के विभिन्न स्तरों पर अवरुद्ध निधियों की वसूली चिंता का एक प्रमुख विषय है. निर्माताओं / आपूर्तिकर्ताओं को दो स्तरों अर्थात् विनिर्माण चरण (देय लेखा चक्र) और विनिर्माणोत्तर चरण (प्राप्य लेखा चक्र) पर निधियों की जरुरत होती है. पहले चरण में निधियों की जरूरत कच्चा माल खरीदने के लिए होती है, जबकि दूसरे चरण में निधियों की जरुरत तैयार माल की बिक्री और नकदी प्राप्त होने तक सुचारुरूप से कार्यकलाप के लिए होती है. आईडीबीआई बैंक की "वेंडर वित्त" योजना इस तरह से तैयार की गई है कि मूल्य श्रृंखला में सभी कड़ियां के लिए पर्याप्त रूप से निधियां उपलब्ध हों जिससे वेंडर का कार्यकलाप सुचारू रूप से चल सके.
विवरण नीचे तालिका में दिये गये हैं:
पात्र क्षेत्र
बड़े कॉरपोरेटों / मूल उपकरण निर्माताओं के सभी वेंडर
ऋण सुविधा का स्वरूप
ओवरड्राफ़्ट / नकदी ऋण
साख पत्र, बिल भुनाई / बीजकों पर वित्तपोषण
उद्देश्य
विनिर्माण तथा प्राप्य चक्र का निधीयन करना
मूल्य निर्धारण
बैंक की आधार दर से संबद्ध
प्रतिभूति
कार्यशील पूंजी के लिए: सम्पूर्ण चालू आस्तियों का दृष्टिबंधक
मीयादी ऋण के लिए: बैंक वित्तपोषण/सम्पूर्ण अचल आस्तियों से बनी आस्तियों पर प्रथम/विशेष प्रभार
बिल भुनाई: ओईएम/कॉरपोरेट के प्राधिकृत अधिकारियों द्वारा स्वीकृत बिल / बीजक
प्रमोटरों/निदेशकों (जो लागू हो) की निजी गारंटी
प्रक्रिया शुल्क
बैंक के वर्तमान दिशा-निर्देशों के अनुसार