पूर्व-लदान वित्त
अवलोकन
इस योजना का उद्देश्य निर्यातकों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर तुलनीय ब्याज दरों पर लघु अवधि के लिए कार्यशील पूंजी सहायता उपलब्ध कराना है.
निर्यात ऋण के प्रकार: (1) पूर्व लदान निर्यात ऋण / पैकिंग ऋण(आरपीसी/पीसीएफ़सी) (2) पोत लदानोत्तर निर्यात ऋण – विदेशी मुद्रा(एफ़सीवाई) और रुपया ऋण दोनों में
पूर्व-लदान ऋण/ पैकिंग ऋण जिसे `पैकिंग ऋण ' भी कहा जाता है, एक प्रकार से बैंक द्वारा किसी निर्यातक को लदान पूर्व माल की खरीद, प्रोसेसिंग, विनिर्माण तथा/या माल की पैकिंग के लिए प्रदत्त ऋण / अग्रिम है. पैकिंग ऋण निर्यात या सेवाओं में संलग्न कंपनियों को परिश्रमिक, यूटिलिटी भुगतानों, यात्रा आदि से संबन्धित व्ययों के वहन के लिए कार्यशील पूंजी सहायता के रूप में भी मंजूर किया जाता है. पैकिंग ऋण की मंजूरी साख पत्र के आधार पर या किसी ऐसे आर्डर के आधार पर की जाती हो जोकि भारत से माल/सेवाओं के निर्यात हेतु एक पक्का और अविकल्पी आर्डर हो या भारत से निर्यात हेतु आर्डर का कोई अन्य साक्ष्य हो.
'पोत लदानोत्तर ऋण' से तात्पर्य बैंक द्वारा प्रदत्त किसी ऐसे ऋण या अग्रिम से है जो भारत के किसी निर्यातक को माल/सेवाओं के निर्यात के बाद लदान की तिथि से ले कर, भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा निर्धारित अवधि के अनुसार, निर्यात संबंधी प्राप्य राशियों की वसूली होने तक प्रदान किया जाता है, और किसी निर्यातक को मंजूर वह ऋण या अग्रिम भी इस में सम्मिलित है जोकि सरकार द्वारा समय समय अनुमत किसी शुल्क वापसी की प्रतिभूति पर या उसको ध्यान में रखते हुए दिया जाता है। आरबीआई के वर्तमान दिशानिर्देशों के अनुसार, लदान की तिथि से निर्यात संबंधी प्राप्य राशियों की वसूली की अवधि 12 महीने है.